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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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6:07 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको, इससे पहले कि कोई और बहा ले मुझको। आईना बन के गुज़ारी है ज़िंदगी मैंने, टूट जाऊंगा बिखरने से बचा ले मुझको।। प्यास बुझ जाये तो शबनम ख़रीद सकता हूं, ज़ख़्म मिल जाये तो मरहम ख़रीद सकता हुँ। ये मानता हुँ मैं दौलत नहीं कमा पाया, मगर तुम्हारा हर एक ग़म ख़रीद सकता हुँ।। जब भी कहते हो आप हमसे कि अब चलते हैं, हमारी आंख से आंसू नहीं संभलते हैं। अब न कहना कि संग दिल कभी नहीं रोते, जितने दरिया हैं पहाड़ों से ही निकलते हैं।। तू जो ख़्वाबों में भी आ जाये तो मेला कर दे, ग़म के मरुथल में भी बरसात का रेला कर दे। याद वो है ही नहीं जो आये तन्हाई में, तेरी याद आये तो मेले में अकेला कर दे।। सोचता था मैं कि तुम गिर कर संभल जाओगे, रौशनी बन कर अंधेरों को निगल जाओगे। न मौसम था, न हालात, न तारीख़, न दिन, किसे पता था कि तुम ऐसे बदल जाओगे।। जो आज कर गयी घायल, वो हवा कौन सी है, जो दिल का दर्द करे सही वो दवा कौन सी है। तुमने इस दिल को गिरफ़्तार आज कर तो लिया, अब ज़रा ये तो बता दो दफ़ा कौन सी है।। 'Maahir'
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