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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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7:11 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
मिसरा-ए-तरह का हासिल औज़ान 2122 2122 212 अरकान :- फाइलातुन– फाइलातुन– फाइलुन ************************** कट रहा तन्हा सफ़र है क्या करूँ लगता तन्हाई से डर है क्या करूँ//1 ज़ेहन पर ग़म का असर है क्या करू लगता अपनों से भी डर है क्या करूं//2 राह अपनी पुर-ख़तर है क्या करूँ रहज़नो का मुझकों डर है क्या करूँ//3 क्यूँ न हो तुझको मयस्सर ठोकरें अजनबी जो रहगुज़र है क्या करूँ//4 उसकी फ़ितरत है ख़ता करना मगर . अपनी आदत दरगुज़र है क्या करूँ//5 . साथ ज़ालिम के खड़ा देखा जिसे, . कहना उसको दाद-गर है क्या करूं//6 . आग नफ़रत की बुझे कैसे भला . ये सियासत का हुनर है क्या करूँ//7 . मैं दवा दू या दुआ दू अब तुझे . ये मोहब्बत का असर है क्या करूँ//8 . टूटा दिल जोड़े तो मानू मैं उसे . कहने को वो शीशा गर है क्या करूँ//9 . जीना मुश्किल और मरने का ख्याल . दिल में ये उलझन अगर है क्या करूं//10. मर ही जाऊंगा यकीनन मै #रज़ा ,, . उसकी अब तिरछी नज़र है क्या करू//11 'Maahir' Taqtee. कट रहा तन्/हा सफ़र है/ क्या करूँ लगता तन्हा/ई से डर है/ क्या करूँ//1 ज़ेहन पर ग़म/ का असर है/ क्या करू लगता अपनों/ से भी डर है/ क्या करूं//2 राह अपनी /पुर-ख़तर है/ क्या करूँ रहज़नो का/ मुझकों डर है /क्या करूँ//3 क्यूँ न हो मुझ/को मयस्सर/ ठोकरें अजनबी जो /रहगुज़र है/ क्या करूँ//4 उसकी फ़ितरत /है ख़ता कर/ना मगर अपनी आदत/ दरगुज़र है/ क्या करूँ//5 साथ ज़ालिम/ के खड़ा दखा जिसे, कहना उसको/ दाद-गर है /क्या करूं//6 आग नफ़रत/ की बुझे कै/से भला ये सियासत/ का हुनर है /क्या करूँ//7 मैं दवा दू/ या दुआ दू /अब तुझे ये मोहब्बत/ का असर है /क्या करूँ//8 टूटा दिल जो/ड़े तो मानू /मैं उसे कहने को वो/ शीशा गर है/ क्या करूँ//9 जीना मुश्किल/ और मरने/ का ख्याल दिल में ये उल/झन अगर है /क्या करूं//10 मर ही जाऊं/गा यकीनन/ मै 'maahir', उसकी अब तिर/छी नज़र है/ क्या करू//11 मुश्किल शब्द दरगुज़र ( माफ़ करना - ग़लती को अनदेखा कर ना) मयस्सर ( मिलना हासिल होना) रहगुज़र ( रास्ता, पथ, मार्ग ) मुफ़लिशो ( मुफ़लिश का बहू - ग़रीब) दाद-गर ( न्याय करने वाला, मुंसिफ़ ) 'Maahir'
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