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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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7:01 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ख़ुद समझ पाए न जिसको वह भी समझाने लगे, वो नए वादे से फिर जनता को बहलाने लगे। ईश्वर ने जन्म ले कर कष्ट कितने सह लिए ? बस तनिक तक़लीफ़ से हम-आप घबराने लगे। मुफ़लिसों ने ज़ालिमों से पाई जो सतही दया, कष्ट में उनको लगा आराम सा पाने लगे। शस्त्र सारे रख चुका हूँ, शास्त्र को थामा है अब, क्या हुआ कुछ लोग हमसे आज घबराने लगे। शायरी पर आज अपनी हो रहा है फ़ख़्र कुछ, शेर मेरे दोस्त-दुश्मन आज दुहराने लगे। Maahir
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