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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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7:03 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
गर ऐतेबार न करता तो और क्या करता, मैं उससे प्यार न करता तो और क्या करता? बिछड़ते वक़्त उन आंखों में चांद रौशन था, मैं इंतज़ार न करता तो और क्या करता? मेरे ख़ुलूस से घबरा गया था मेरा दोस्त, पलट के वार न करता तो और क्या करता? हवा के साथ ही चलने में फ़ायदा था मेरा, ये कारोबार न करता तो और क्या करता? सुकूने दिल भी वही था, क़रारे जां भी वही, वो बेक़रार न करता तो और क्या करता? ख़ुद आ गया था परिंदा मेरे निशाने पर, जो मैं शिकार न करता तो और क्या करता? मेरे मिज़ाज की नरमी ही मेरी दुश्मन थी, गुलों को ख़ार न करता तो और क्या करता? ख़ुलूस.......... प्यार, स्नेह, क़रारे जां......... जान का क़रार 'Maahir'
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