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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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7:42 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
Ghazal ग़म हों फिर भी ज़िन्दगी से दिल लगा के देखिए, और थोड़ा शायरी से दिल लगा के देखिए। कर चुके नुक्सान नासमझी में कितना आजतक, कुछ समझ की रोशनी से दिल लगा के देखिए। वक़्त आगे बढ़ रहा है, छोड़ कर हर चीज़ को, आप भी कुछ ताज़गी से दिल लगा के देखिए। रंग-रोगन से बहुत दिन दिल बहल सकता नहीं, मान्यवर, कुछ सादगी से दिल लगा के देखिए। इस मशीनी दौर में इंसानियत के वास्ते, आँख की भी कुछ नमी से दिल लगा के देखिए। आपको गुज़रा हुआ कुछ वक़्त याद आ जाएगा, हो सके तो चाँदनी से दिल लगा के देखिए। चाँद से चेहरों की रौनक फ़िक्र से होती है कम, कुछ तो 'शेखर' दिल्लगी से दिल लगा के देखिए। Maahir
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