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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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7:10 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
श्रीमद्भगवद्गीता : कर्मक्षेत्रे-रणक्षेत्रे :अध्याय ५: कर्मसंन्यास योग : क्रमश : श्लोक १६ : सूर्य के प्रकाश के सदृश ज्ञान , अज्ञान को नाश कर परमात्म-तत्व का साक्षात्कार करवा देता है: ज्ञानेन तु तत् अज्ञानम् येषाम् नाशितम् आत्मन : । तेषाम् आदित्यवत् ज्ञानम् प्रकाशयति तत्परम् ॥१६॥ ज्ञान के आलोक से अज्ञान का नाश है जिन ने किया । ज्ञान साधन सूर्य सम अपने प्रकाशसे प्रगट करता परमात्म को ॥१६॥ अज्ञान का नाश होने पर ज्ञान -सूर्य का प्रकाश और इस प्रकार मैं- मेरापन-ममता का मोह नाश होने पर परमात्म-तत्व का विवेक: पिछले पन्द्रहवें श्लोक के सूत्र, “अज्ञानेन आवृतम् ज्ञानम् “ के अज्ञान का आवरण हटने पर ज्ञान अर्थात विवेक होने पर सूर्य के सदृश प्रकाश में उस परम परमात्म - तत्व की अनुभूति । Paavan Teerth.
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