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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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7:22 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
हुआ गुम-सुम है मंज़र, देखिए तो, मुझे तूफ़ाँ का है डर, देखिए तो। मंज़र=दृष्य, मसाइल आमजन के घूरते हैं, हुए हैं लोग पत्थर देखिए तो। मसाइल = मसअला का बहुवचन, वबा में ढूँढते थे, धूर्तता से, मुनाफ़े का वो अवसर देखिए तो। वबा = पेन्डेमिक, ग़लत हुक्मों पे नेता से तो अफ़सर, कहें बस आज सर-सर देखिए तो। अमीरों के लिए मुफ़लिस मरे फिर, यही होता है अक्सर देखिए तो। मुफ़लिस =ग़रीब, ग़रीबों के लिए हर सू है ज़िल्लत, न चाहें देखना, पर देखिए तो। हर सू= प्रत्येक दिशा में, ज़िल्लत= अपमान, प्रणयरत क्रौंच के इक तेज़-घातक, लगा फिर आज शर है देखिए तो। क्रौंच=एक पक्षी जिस को तीर लगने से प्रथम काव्य के जन्म की जनश्रुति है। शर=तीर। - Maahir
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