ग़ज़ल- ए.आई.दौर में जज़्बे बचाना सीख लो साहिब, ज़रा इंसानियत से दिल लगाना सीख लो साहिब। ए.आई.= A.I=Artificial Intelligence कड़ी मेहनत से पाया है ये तुमने जो मुक़ाम ऊँचा, अना को भी ज़रा अपनी झुकाना सीख लो साहिब। मुकाम=स्थान, अना=अहंकार दिलाई थी क़सम तुमने न रक्खें राब्ता हम से, मेरे ख़्वाबों से भी तो दूर जाना सीख लो साहिब। राब्ता=सम्बन्ध बुरा गर वक़्त आया तो,तजुर्बा काम आयेगा, ज़रा मिल-बाँट के जीवन चलाना सीख लो साहिब। कभी करते हैं वह भी,जिससे वो इंकार करते हैं, सही अनुमान लहजों से लगाना सीख लो साहिब। तजुर्बा है मेरा ये काम होता है इबादत-सा, किसी रोते हुए जन को हँसाना सीख लो साहिब। 'वही’ का आसमानों से तो अब आना न है मुमकिन, जहां अपने तजारिब से सजाना सीख लो साहिब। वही=आदमी को सही रास्ता दिखाने वाली आसमानी किताब 'Maahir'