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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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2:12 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
प्रस्तुत है एक ग़ज़ल- सभी क़ानून लिख डाले उन्होंने आज, काग़ज़ पर, हुआ है देश में क़ानून का अब राज, काग़ज़ पर। ग़रीबों को दिलाने अद्ल सब नेता लगे कब से, किये जाते हैं निर्बल के मगर बस काज काग़ज़ पर। अद्ल=न्याय पहुँच वाला जो ज़ालिम है, मदद करते हैं सब उसकी, बची नारी की है देखो यहाँ बस लाज काग़ज़ पर। कड़े क़दमों के आदेशों से अकड़े हैं क़दम उनके, गिरा करती है अपराधी पे लेकिन गाज काग़ज़ पर। जो ज़िम्मेदार बनते थे, ख़यानत कर उन्होंने ही, हड़प ली मुफ़लिसों की भूमि देखो आज काग़ज़ पर। ख़ुशी बच्चे की लिक्खोगे भला तुम किस तरह "शेखर", बनाया जिसने पहली बार सुन्दर ताज, काग़ज़ पर। 'Maahir'
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