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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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7:10 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
अष्टावक्र संहिता अध्याय XIX : आत्म-स्थित क्व दूरं क्व समीपं वा बाह्यं आभ्यन्तरं क्व वा । क्व स्थूलं क्व च वा सूक्ष्मं स्वमहिम्न स्थितस्य मे ॥६॥ कहाँ दूर और पास कहाँ बाहर कहाँ भीतर कहाँ । स्थूल कहाँ अथवा सूक्ष्म कहाँ उसको जो योगसिद्ध होकर बैठा ॥६॥ क्व मृत्यु: जीवितं वा क्व लोका : कास्य क्व लौकिकम् । क्व लय : क्व समाधिर्वा स्वमहिम्न स्थितस्य मे ॥७॥ मृत्यु कहाँ अथवा जीवन कहाँ विभिन्न लोक कहाँ और लौकिक व्यवहार कहाँ । लय भी कहाँ और समाधि भी कहाँ उसको जो योगसिद्ध होकर बैठा ॥७॥ अलं त्रिवर्गकथया योगस्य कथयाप्यलम् । अलं विज्ञानकथया विश्रान्तस्य ममात्मनि ॥८॥ जानो व्यर्थ जीवन की तीनों गति जानो व्यर्थ कथा योग की । विज्ञान की बात भी व्यर्थ जानो उसको रम गया है आत्म में जो ॥८॥ Paavan Teerth
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