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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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8:15 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल- आइने को रू ब रू कर, फिर किसी की आरजू कर। कोस मत दुनिया को हरदम, जो न हो पाया,वो तू कर, सोच में इंसानियत रख, मुक्त हिंसा से तू भू कर। की है मक्कारी किसी ने, छत कहे वो आज चू कर। अनुभवों से सत्य मिलता, जो सही लगता वो तू कर। आदमी रहना जो चाहे, आदमी की आबरू कर। लोग तब दिल से सुनेंगे, पहले ख़ुद से गुफ़्तगू कर। मिल चुके धागे-सुई जब, ख़ुद से जीवन को रफ़ू कर। लग रहे तुझको जो अच्छे, काम वो तो, हू-ब-हू कर। लक्ष्य पाएगा यकीं रख, काम करना तो शुरू कर।
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