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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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8:23 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
प्रशान्त चन्द्र महालनोबिस प्रशान्त चन्द्र महालनोबिस प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक एवं सांख्यिकीविद थे। प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जन्म कोलकाता के 210 कार्नवालिस स्ट्रीट स्थित उनके पैतृक आवास में 29 जून, 1893 को हुआ था। उनके पिता का नाम प्रबोध चंद्र महालनोबिस उनकी माता निरोदबसिनी का संबंध बंगाल के पढ़े-लिखे कुल से था। उन्हें पॉप्युलेशन स्टडीज की सांख्यिकी माप महालनोबिस डिस्टेंस देने के लिए जाना जाता है। साथ ही वह स्वतंत्र भारत के पहले योजना आयोग के सदस्य भी थे। महालनोबिस ने इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिट्यूट की नींव रखी और बड़े पैमाने पर सैंपल सर्वे को तैयार करने में भी योगदान दिया। उनके इस योगदान के चलते उन्हें भारत में मॉडर्न स्टैटिस्टिक्स का पिता माना जाता है। प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें स्वतंत्रता के बाद नवगठित केंद्रीय मंत्रिमंडल का सांख्यिकी सलाहकार भी नियुक्त किया था। सरकार ने महालनोबिस के विचारों का उपयोग करके कृषि और बाढ़ नियंत्रण के क्षेत्र में कई अभिनव प्रयोग किए। उनके द्वारा सुझाए गए बाढ़ नियंत्रण के उपायों पर अमल करते हुए सरकार को इस दिशा में अप्रत्याशित सफलता मिली। स्वतंत्र भारत में औद्योगिक उत्पादन की बढ़ोतरी तथा बेरोजगारी दूर करने के प्रयासों को सफल बनाने के लिए महालनोबिस ने ही योजना तैयार की थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने के उद्देश्य के लिए वर्ष 1949 में महालनोबिस की अध्यक्षता में ही एक 'राष्ट्रीय आय समिति' का गठन किया गया था। जब आर्थिक विकास को गति देने के लिए योजना आयोग का गठन किया गया तो उन्हें इसका सदस्य बनाया गया। महालनोबिस चाहते थे कि सांख्यिकी का उपयोग देशहित में हो। उन्होंने देश को आंकड़ा संग्रहण की जानकारी दी। साथ ही भारत सरकार की दूसरी पंचवर्षीय योजना का मसौदा तैयार करने में उन्होंने अपनी अहम भूमिका निभाई। पीसी महालनोबिस बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। एक वैज्ञानिक होने के साथ ही साहित्य में भी उनकी जबरदस्त रुचि थी। उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर की कृतियों पर अनेक लेख लिखे थे। शांति निकेतन में रहकर महालनोबिस ने टैगोर के साथ करीब 2 महीने का समय बिताया। इस दौरान टैगोर ने उन्हें आश्रमिका संघ का सदस्य बना दिया। बाद में जब टैगोर ने 'विश्व भारती' की स्थापना की, तो महालनोबिस को संस्थान का सचिव भी नियुक्त किया। महालनोबिस ने गुरुदेव के साथ कई देशों की यात्राएं भी कीं और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी लिखे। वास्तुकला में भी उनकी रुचि थी। महालनोबिस को सम्मान : - सन 1944 में प्रशान्त चन्द्र महालनोबिस को ‘वेलडन मेडल’ पुरस्कार दिया गया। - सन 1945 में लन्दन की रॉयल सोसायटी ने उन्हें अपना फेलो नियुक्त किया। - सन 1950 में उन्हें ‘इंडियन साइंस कांग्रेस’ का अध्यक्ष चुना गया। - अमेरिका के ‘एकोनोमेट्रिक सोसाइटी’ का फेलो नियुक्त किया गया। - सन 1952 में पाकिस्तान सांख्यिकी संस्थान का फेलो बनाया गया। - सन 1957 में उन्हें देवी प्रसाद सर्वाधिकार स्वर्ण पदक दिया गया। - सन 1959 में उन्हें किंग्स कॉलेज का मानद फेलो नियुक्त किया गया। - 1957 में अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान का ऑनररी अध्यक्ष बनाया गया। भारत सरकार ने 1968 में महालनोबिस को देश के दूसरे सर्वोच्च सम्मान ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया। 1968 में उन्हें श्रीनिवास रामानुजम स्वर्ण पदक दिया गया। 28 जून 1972 को प्रो. प्रशांत चंद्र महालनोबिस का निधन हो गया।
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