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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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8:35 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल- सब विषयों का स्रोत-विषय दर्शन होता है। जिसमें जड़-चेतन पर ही मंथन होता है। सबको उनकी ही तस्वीरें दिखलाता है। योगी सा निर्लिप्त यहाँ,दर्पण होता है। बाग़-बग़ीचे शहरों के आकर्षित करते। लेकिन सबको प्यारा मन-कानन होता है। आसान मगर मुश्किल भी है,सोचो कितना, बह्म ज्ञान के जैसा ही जीवन होता है। इसको काबू में कर के ही, कुछ कर पाते, अच्छा सेवक,ओछा मालिक मन होता है। आपसदारी सहज भाव है जनजीवन का, कण-कण में स्वाभाविक आकर्षण होता है। दर्पण-सा कुछ काम किया करते ये भी तो, चेहरों पर भावों का कुछ मंचन होता है। 'Paavan'
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