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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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7:54 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
अष्टावक्र संहिता अध्याय १: आत्मानुभूति का निर्देश : एको विशुद्धबोधोऽहमिति निश्चय वह्निना । प्रज्वाल्य अज्ञान गहनम् वीतशोक : सुखी भव ॥९॥ ‘मैं हूँ विशुद्ध बोधत्वम् ‘ इस निश्चय की अग्नि में जल तू । गहन अज्ञान से होकर शोक- मुक्त तुरंत सुखी होगा तू ॥९॥ यत्र विश्वमिदम् भाति कल्पित रज्जुसर्पवत् । आनन्दपरमानन्द : स बोधस्त्वम् सुखम् चर ॥१०॥ यहाँ ‘ रस्सी में सर्प के भय सा’ यह विश्व दिखता है सभी । आनन्द-परमानन्द को प्राप्त कर तू मुक्त हो सुख से विचर ॥१०॥ Paavan Teerth
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