skip to main |
skip to sidebar
RSS Feeds
A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
![]() |
![]() |
8:27 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल- हर जगह कुछ बोलना अच्छा नहीं वीरेन्द्र जी, हो रहा जो हर तरफ़,देखा नहीं वीरेन्द्र जी? वोट ख़ातिर वो किए वादे असंंभव-से कई, आमजन बेदार था,क्या था नहीं,वीरेन्द्र जी? बेदार-जागरूक,जागृत बात हो इंसानियत के हित में ही,जब हो कहीं, बेवजह मुँह खोलना अच्छा नहीं वीरेन्द्र जी, मारता है और रोने भी नहीं देता जबर, क्या किसी ने तुमको समझाया नहीं,वीरेन्द्र जी? बोल के आधे वो सच को बन रहे थे धर्मराज, आज भी है रीति ये, देखा नहीं वीरेन्द्र जी? मुफ़्त की चीज़ों की इज़्ज़त कब रही संसार में, यूँ ही कोई मशविरा,देना नहीं वीरेन्द्र जी? आए खाली हाथ थे सब,पा रहे हैं रात-दिन, दरहकीकत कुछ यहाँ खोया नहीं वीरेन्द्र जी? (COLLECTED BY'Maahir')
![]() |
Post a Comment