ग़ज़ल दोस्तो,मेरी ग़ज़ल जिसे आप सबों की ख़िदमत में पेश करता हूँ, अर्ज़ किया है - सेब,छुहाड़ा और बनाना ढूँढेगा? भूखा जो होगा वो खाना ढूँढेगा//1 आज मेरी चाहत तो तूने ठुकरा दी कल मुझसे मिलने का बहाना ढूँढेगा//2 हो ना गर वो लैला का पागल मजनूँ जंगल में क्यों आबोदाना ढूँढेगा//3 लड़की जब फटफटिया सी मिल जाएगी तू भी दस नंबर का पाना ढूँढेगा//4 दिखलाऊँगा ऐसे भूल भुलय्या मैं तू तो अपने नानी नाना ढूँढेगा//5 छोड़ो, उसने पीठ दिखाई तो क्या ग़म तुमको तो ऐ'maahir'ज़माना ढूँढेगा //6 'Maahir' आबोदाना-जल और अन्न,अन्नजल,खानपान,आजीविका,रहने का संयोग,जीवन निर्वाह