तरही मुशायरे के इस विशेष अंक के लिए हमने हिंदी साहित्य के मशहूर कवि एवं साहित्यकार जनाब भारतेंदु हरिश्चंद्र साहब की ग़ज़ल से मिसरा/ शेर लिया है, जिसका विवरण नीचे दिया गया है. मिसरा-ए-तरह का विवरण- मिसरा/शेर-ए-तरह- 'गले मुझ को लगा लो ऐ मिरे दिलदार होली में' पूरा मिसरा/शेर-ए-तरह (मतला एवं अन्य शेर के सहित) गले मुझ को लगा लो ऐ मिरे दिलदार होली में बुझे दिल की लगी भी तो ऐ मेरे यार होली में//1 नहीं ये है गुलाल-ए-सुर्ख़ उड़ता हर जगह प्यारे ये आशिक़ की है उमड़ी आह-ए-आतिश-बार होली में//2 गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझ को भी जमाने दो मनाने दो मुझे भी जान-ए-मन त्यौहार होली में//3 'रसा' गर जाम-ए-मय ग़ैरों को देते हो तो मुझ को भी नशीली आँख दिखला कर करो सरशार होली में//4 पूरा मिसरा/शेर-ए-तरह की तक़तीअ गले मुझ को/ लगा लो ऐ/ मिरे दिलदा/ र होली में बुझे दिल की/ लगी भी तो/ ऐ मेरे या/ र होली में //1 क़ाफिया की तुक 'आर' उदाहरण-पार, बाज़ार, संसार, धार, कार, आधार, ख़ार, दीवार, बेकार, इत्यादि रदीफ़ 'होली में' कुछ फ़िल्मी गीत लय परीक्षण हेतु ! बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है! किसी पत्थर की मूरत से महोब्बत का इरादा है! भरी दुनियां में आके दिल को समझाने कहाँ जाएँ! चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोन! ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना! कभी पलकों में आंसू हैं कभी लब पे शिकायत है! ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा! ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए! मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने! हजारों ख्वाहिशें इतनी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले! बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं! मुहब्बत हो गई जिनको वो परवाने कहाँ जाएँ! मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता! सुहानी रात ढल चुकी न जाने तुम कब आओगे! कभी तन्हाईयों में भी हमारी याद आएगी! परस्तिश की तमन्ना है,इबादत का इरादा है! आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक//१ आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होने तक//2 आह को चा/हिए इक उम्/र असर हो/ने तक कौन जीता/ है तेरी ज़ुल्/फ़ के सर हो/ने तक//१ आशिक़ी सब्/र तलब औ/र तमन्ना/ बेताब दिल का क्या रं/ ग करूँ ख़ू/ ने जिगर हो/ने तक//२ मिर्ज़ा_ग़ालिब कठिन शब्दों के अर्थ- असर-प्रभाव,नतीजा,छाप सर-जीता,किसी मुश्किल काम को पूरा करना सब्र तलब-सब्र माँगने वाला/वाली,जहां सब्र की ज़रूरत हो तमन्ना-इच्छा,ख़्वाहिश,आरज़ू,अभिलाषा बेताब-व्यग्र,बेचैन ख़ून-ए-जिगर-हृदय का रक्त, मर जाना,मार दिया जाना! COLLECTION BY 'MAAHIR'