ग़ज़ल- थमा,सहमा ये मंज़र,देखिए तो, किसी तूफ़ाँ का है डर,देखिए तो! मंज़र-दृष्य मसाइल आमजन के घूरते हैं, हुए पर लोग पत्थर देखिए तो। मसाइल-प्रकरण का बहुवचन ग़लत हुक्मों पे नेता से तो अफ़सर, कहे हैं आज सर-सर देखिए तो। अमीरों के लिए मिटते हैं मुफ़लिस, यही होता है अक्सर देखिए तो। ग़रीबों के लिए हर सू ज़लालत न चाहें देखना,पर देखिए तो। हर-सू-हर तरफ़ प्रणय करते हुए पक्षी के'maahir' लगा फिर आज है शर,देखिए तो। शर-तीर 'Maahir'(collection)