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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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8:46 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
मिसरा-ए-तरह का विवरण- मापनी 212-1222/212-1222 अरकान :– बहर/अरकान - फाइलुन मुफाईलुन फाइलुन मुफाईलुन अज्म-ए-ज़िन्दगी लेकर,फिर भी लोग चलते हैं! पूरा शे'र (अन्य शे'र सहित) कितने दीप बुझते हैं,कितने दीप जलते हैं, अज्म-ए-ज़िन्दगी लेकर,फिर भी लोग चलते हैं! //१// मौज मौज तूफाँ है मौज मौज साहिल है, कितने डूब जाते हैं,कितने बच निकलते हैं! //२// क़ाफिया की तुक-'अलते'का तुकान्त। उदाहरण-चलते, पिघलते, छलते, उबलते, उगलते, निकलते, मसलते, मचलते, जलते, सम्हलते, फिसलते, मलते(हाथ मलना) दलते(मूंग दलना)आदि, रदीफ़ -'हैं' कुछ फिल्मी गीत/ग़ज़ल (लय परीक्षण हेतु) १-तुम तो ठहरे परदेशी साथ क्या निभाओगे । २-आइना के सौ टुकड़े कर के हमनें देखे हैं । ३-पर्वतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है ! (Collected by-Maahir)
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