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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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6:52 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल
दोस्तो, अपनी 950वीं ग़ज़ल आप सबों के सामने पेश करते हुए मुझे बेहद ख़ुशी हो रही है. हस्ब-ए-मामूल ये ग़ज़ल ग़ालिब साहब की ज़मीन पर कही गई है (मैंने अपनी हर 50 वीं ग़ज़ल उनकी ज़मीन पर कही है); उनकी ग़ज़ल भी इस पोस्ट के साथ दी गई है.
ग़ालिब साहब ने अपनी ग़ज़ल में 8 अशआर कहे हैं,मैंने क़ाफ़िर क़ाफ़िये को छोड़कर ग़ालिब साहिब की ग़ज़ल में प्रयुक्त सभी क़वाफ़ी पर अशआर कहे हैं,जिनका शेर क्रमांक 7 से लेकर 15 तक है,शेर क्रमांक 1 से लेकर 6 तक के अशआर में मैंने अपने क़वाफ़ी का प्रयोग किया है! क़ाफ़िर क़ाफ़िये पर मैंने कोई शेर इसलिए नहीं बाँधा क्योंकि क़ाफ़र कहने पर ही इसकी तुक ग़ज़ल में प्रयुक्त क़वाफ़ी की तुक अर से मिलेगी,अन्यथा नहीं! पिछले ज़माने में क़ाफ़िर को क़ाफ़र कहते होंगे शायद,मगर वर्तमान में तो ऐसा नहीं कहते हैं,इसलिए मैंने इस पर कोई शेर नहीं बाँधा!
आप मिर्ज़ा ग़ालिब और मेरी दोनों ही ग़ज़लों का लुत्फ़ उठाएं,अर्ज़ किया है-
तू बर्ग-ए-गुल है तो दम-ए-ख़ंजर नहीं हूँ मैं
अर्ज़-ए-वफ़ा पे चर्ख़-ए-सितमगर नहीं हूँ मैं//1
दीवार-ओ-दर पे कर्ब का साया हो जिस जगह
माज़ी के टूटे इश्क़ का वो घर नहीं हूँ मैं//2
मुझसे न पूछ लापता उश्शाक़ के मकान
ख़ुद ढूंढता हूँ रास्ता,रहबर नहीं हूँ मैं//3
दिल कैसे उसका जीत लूँ माइल नहीं है जो
इंसान हूँ हक़ीर,फ़ुसूँगर नहीं हूँ मैं//4
आज़ाद हूँ परिंदा वो गर्दूँ है जिसका घर
क़ाएम हो जिसकी छत वो कबूतर नहीं हूँ मैं//5
यारो है शाइरी मेरी अहद-ए-क़दीम की
राहत,वसीम,या कि मुनव्वर नहीं हूँ मैं//6
क्यूँ चुन रहा है तू मुझे दीवार-ए-हिज्र में
कंकड़ या रेग,ईंट या पत्थर नहीं हूँ मैं//7
जम्हूरियत का भूत यूँ चढ़ने लगा है सर
नौकर भी कहने लग गए नौकर नहीं हूँ मैं//8
क्यों ढूंढ़ता है मुझमें तू जन्नत की ताज़गी
दर्या हूँ अर्ज़-ए-ग़ुब्र में, कौसर नहीं हूँ मैं//9
शाइर बड़ा हूँ या कि मैं छोटा नहीं पता
है बात ये कि तेरे बराबर नहीं हूँ मैं//10
'पैसे के ही जुगाड़ में बाहर गया है वो'
क़ारिज़ से मेरे कह दो कि घर पर नहीं हूँ मैं//11
'ग़ालिब' भी आये लौट के गर्चे कहा था 'maahir'
"लौह-ए-जहाँ पे हर्फ़-ए-मुकर्रर नहीं हूँ मैं"//12
इतनी लगावटें न रख मुझसे ऐ मेरे दोस्त
जिसमें हो ख़म्र-ए-इश्क़ वो साग़र नहीं हूँ मैं//13
पाबंद गर्चे रस्म-ओ-क़वा'इद का मैं नहीं
हो बात इल्म-ए-दीं की तो कमतर नहीं हूँ मैं//14
मुझमें तमाम नुक़्स हैं ज़िंदा बशर के 'Maahir'
कोई नगीना या कोई गौहर नहीं हूँ मैं//15
'Maahir'
تو برگ گل ہے تو دم خنجر نہیں ہوں، میں
عرض وفا پے چرخ ستمگر نہیں ہوں، میں //1
دیوار ودر پے کرب کا سایا ہو جس جگہ
ماضی کے ٹوٹے عشق کا وہ گھر نہیں ہوں، میں //2
مجھ سے نہ پوچھ لاپتہ عشاق کے مکان
خود ڈھونڈتا ہوں، راستا، رہبر نہیں ہوں، میں //3
دل کیسے اسکا جیت لوں مائل نہیں ہے جو
انسان ہوں، حقیر، فسونگر نہیں ہوں، میں //4
آزاد ہوں، پرندہ وہ گردوں ہے جس کا گھر
قائم ہو جسکی چھت وہ کبوتر نہیں ہوں، میں //5
یارو ہے شاعری میری 'احد قدیم کی
راحت، وسیم، یا کہ منور نہیں ہوں، میں //6
کیوں چن رہا ہے تو مجھے دیوار ہجر میں
کنکڑ یا ریگ، اینٹ یا پتھر نہیں ہوں، میں //7
جمہوریت کا بھوت یوں چڑھنے لگا ہے سر
نوکر بھی کہنے لگ گئے نوکر نہیں ہوں، میں //8
کیوں ڈھونڑھتا ہے مجھ میں تو جنت کی تازگی
دریا ہوں، عرض غبر میں، کوثر نہیں ہوں، میں //9
شاعر بڑا ہوں، یا کہ میں چھوٹا نہیں پتہ
ہے بات یہ کہ تیرے برابر نہیں ہوں، میں //10
'پیسے کے ہی جگاڑ میں باہر گیا ہے وہ'
کارض سے میرے کہہ دو کہ گھر پر نہیں ہوں، میں //11
'غالب' بھی آئے لوٹ کے گرچے کہا تھا 'راز'
"لوح جہاں پے حرف مقرر نہیں ہوں، میں" //12
اتنی لگاوٹیں نہ رکھ مجھ سے اے میرے دوست
جسمیں ہو خمر عشق وہ ساغر نہیں ہوں، میں //13
پابند گرچے رسم وقویٰ'اد کا میں نہیں
ہو بات علم دیں کی تو کمتر نہیں ہوں، میں //14
مجھ میں تمام نقص ہیں زندہ بشر کے 'راز'
کوئی نگینہ یا کوئی گوھر نہیں ہوں، میں //15
'Maahir'
बर्ग-ए-गुल-गुलाब की पंखड़ी,फूल की पंखुड़ियाँ
(लाक्षणिक)प्रेमिका के होंट
दम-ए-ख़ंजर-ख़ंजर की धार,(लाक्षणिक)कठिनाई,मुश्किल,दुख,मुसीबत
अर्ज़-ए-वफ़ा-वफ़ा रूपी पृथ्वी
चर्ख़-ए-सितमगर-अत्याचारी रूपी आकाश
दीवार-ओ-दर-घर का अहाता,चारदीवारी,घेराबंदी,प्रतीकात्मक:घर,मकान,निवासस्थान
कर्ब-दुख,दर्द,रंज,पीड़ा
माज़ी-अतीत,पास्ट,गुज़रा हुआ कल
लापता उश्शाक़ के मकान-खोए हुए आशिकों के घर
रहबर-मार्गदर्शक,पथ प्रदर्शक,राह दिखाने वाला
माइल-आकृष्ट,दीवाना,मोहित
हक़ीर-बहुत ही कम,तुच्छ;हेय,क्षुद्र,बहुत थोड़ा,छोटा,अदना,मामूली,ग़ैर अहम
फ़ुसूँगर-जादूगर
परिंदा-पक्षी,पंछी,चिड़िया
गर्दूँ-आसमान,व्योम
अहद-ए-क़दीम-प्राचीन काल या युग,भूतकाल,पुराना ज़माना,पिछला दौर
क़ाएम-नियत,निश्चित,लगा हुआ,किसी नियत स्थान पर टिका या ठहरा हुआ,अपनी जगह पर रहना,दृढ़, मजबूत, पायदार,स्थायी,टिकाऊ,बरक़रार,जो स्थापित हो,स्थिर,यथावत,शेष
दीवार-ए-हिज्र-वियोग की दीवार
रेग-रेत,बालू
जम्हूरियत-लोकतंत्र,गणतन्त्र,जनतंत्र,प्रजातंत्र,जमहूरी हुकूमत
दर्या- नदी
अर्ज़-ए-ग़ुब्र-dusty tract of land,धूल भरी ज़मीन
कौसर-स्वर्ग के एक कुंड,हौज़ या नहर का नाम (साहित्य में संकेतित प्रसंग के तौर पर प्रयुक्त),कौसर का पानी
क़ारिज़-उधार देनेवाला,उत्तमर्ण,क़र्ज देनेवाला,ऋणदाता
लौह-ए-जहाँ-संसार रूपी तख़्ती
हर्फ़-ए-मुकर्रर-दुबारा आया हुआ शब्द,दो बार कही हुई बात
लगावट-लगाव,संबंध
प्रेमिका की दिल को लुभाने वाली बातें,प्रेम-भाव के साथ अपनी ओर आकर्षित करने वाले नखरे,प्रेम,चाहत
ख़म्र-ए-इश्क़-प्रेम की शराब
साग़र-शराब का प्याला
पाबंद-किसी नियम,वचन,समय या सिद्धांत आदि का पूर्ण रूप से पालन करने वाला या मानने वाला,अनुशासन-प्रिय
गर्चे-यद्यपि
रस्म-प्रथा,चाल,चलन,प्रचलन,रीति,परिपाटी
क़वा'इद-उसूल,किसी काम को करने की युक्ति,विधान,नियम,व्याकरण,सर्फ़-ओ-नहव
इल्म-ए-दीं-धर्म का ज्ञान
कमतर-अल्पतर,बहुत थोड़ा अथवा निम्न स्तरीय(तुलनात्मक)स्तर या पद-प्रतिष्ठा इत्यादि में छोटा या थोड़ा हीन
तमाम नुक़्स-सभी त्रुटियाँ
ज़िंदा बशर-ज़िंदा आदमी
नगीना-नग,रत्न,मणि,जवाहर,बहुमूल्य पत्थर,अँगूठी पर जड़ा जाने वाला पत्थर
गौहर-मोती,रत्न,बहुमूल्य पत्थर
मिर्ज़ा ग़ालिब साहिब की ग़ज़ल
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दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं
ख़ाक ऐसी ज़िंदगी पे कि पत्थर नहीं हूँ मैं//1
क्यूँ गर्दिश-ए-मुदाम से घबरा न जाए दिल
इंसान हूँ पियाला ओ साग़र नहीं हूँ मैं//2
या-रब ज़माना मुझ को मिटाता है किस लिए
लौह-ए-जहाँ पे हर्फ़-ए-मुकर्रर नहीं हूँ मैं//3
हद चाहिए सज़ा में उक़ूबत के वास्ते
आख़िर गुनाहगार हूँ काफ़र नहीं हूँ मैं//4
किस वास्ते अज़ीज़ नहीं जानते मुझे
लअ'ल ओ ज़मुर्रद ओ ज़र ओ गौहर नहीं हूँ मैं//5
रखते हो तुम क़दम मिरी आँखों से क्यूँ दरेग़
रुत्बे में महर-ओ-माह से कम-तर नहीं हूँ मैं//6
करते हो मुझ को मनअ-ए-क़दम-बोस किस लिए
क्या आसमान के भी बराबर नहीं हूँ मैं//7
'ग़ालिब'वज़ीफ़ा-ख़्वार हो दो शाह को दुआ
वो दिन गए कि कहते थे नौकर नहीं हूँ मैं//8
मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब साहिब की ग़ज़ल का रेख़्ता लिंक-
https://www.rekhta.org/ghazals/daaim-padaa-huaa-tire-dar-par-nahiin-huun-main-mirza-ghalib-ghazals?lang=hi
Pavan Sharma
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