मुहब्बत को अभी कुछ रोज़ यूं ही रंग लाने दो ! कली को फूल बनने दो चमन को मुस्कुराने दो !! सुना है ख़ुद ब ख़ुद आशिक़ वो हो जायेगा मीना का ! कि मदिरा और छलकने दो नशा भरपूर छाने दो 'Maahir'