ख़मोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फ़त नई नई है, अभी तकल्लुफ़ है गुफ़्तुगू में अभी मोहब्बत नई-नई है!! अभी न आएगी नींद तुम को अभी न हम को सुकूँ मिलेगा, अभी तो धड़केगा दिल ज़ियादा अभी ये चाहत नई-नई है!! बहार का आज पहला दिन है चलो चमन में टहल के आएँ, फ़ज़ा में ख़ुशबू नई नई है गुलों में रंगत नई-नई है!! जो ख़ानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना, तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई-नई है!! ज़रा सा क़ुदरत ने क्या नवाज़ा कि आ के बैठे हो पहली सफ़ में, अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई-नई है!! बमों की बरसात हो रही है पुराने जाँबाज़ सो रहे हैं, ग़ुलाम दुनिया को कर रहा है वो जिस की ताक़त नई-नई है!! 'Maahir'