मंज़िल से ही सफ़र में नहीं आशना* हुआ काँटे चटान गर्द से भी साबिक़ा हुआ /1 (परिचय ,सामना) मुंसिफ़ ने हर सुबूत को तस्लीम* कर लिया फिर क्यों न मेरे हक़ में बता फ़ैसला हुआ /2 (स्वीकार) या तो सुबूत दे कि तेरा क़त्ल हो गया या मान ले कि साथ तेरे हादिसा हुआ /3 कुछ साँप रेंगते हुए जंगल में घुस गये तफ़्सील* से लकीरों का फिर तब्सिरा** हुआ /4 (*विस्तार**समीक्षा) कुछ ख़त पुराने और ये दीवान छोड़ कर जाता हूँ मैं ये माल तमाम आप का हुआ /5 इक बदहवास शख़्स हुआ फिर से रू-ब-रू 'maahir' आइने को देख के हैरत-ज़दा हुआ / 'Maahir'