दोस्तो,पेश-ए-ख़िदमत है एक नयी ग़ज़ल, अर्ज़ किया है- अब नहीं कुछ रखा कहानी में हो गयी हर ख़ता जवानी में//1 वो ही जीतेगा जलपरी का दिल जो लगाएगा आग पानी में//2 वो मणीपुर की,और मगध का मैं था यही मसअला कहानी में//3 हो चुके हैं चुनाव,रहने दो कौन जाता है गाँव ढाणी में//4 मुझको सुन लो ब गोश-ए-ख़ामोशी मुंकशिफ़ हूँ मैं बेज़ुबानी में//5 हम यूँ रहते हैं इश्क़ में डूबे जैसे रहता है माही पानी में//6 गिर गयी मुंतख़ब सरकार गहमागहमी है राजधानी में//7 اب نہیں کچھ رکھا کہانی میں ہو گئی ہر خطا جوانی میں //1 وہ ہی جیتیگا جل پری کا دل جو لگائیگا آگ پانی میں //2 وہ منیپر کی، اور مگدھ کا میں تھا یہی مسئلہ کہانی میں //3 ہو چکے ہیں چناؤ، رہنے دو کون جاتا ہے گاؤں ڈھانی میں //4 مجھ کو سن لو بہ گوش خاموشی منکشف ہوں، میں بیزبانی میں //5 ہم یوں رہتے ہیں عشق میں ڈوبے جیسے رہتا ہے ماہی پانی میں //6 گر گئی 'راز' منتخب سرکار گہماگہمی ہے راجدھانی میں //7 'Maahir'(collected by) ख़ता-चूक,ग़लती,जुर्म,अपराध,दोष,पाप,भूल,त्रुटि मणीपुर-मणिपुर,पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य मगध-बिहार का एक पुराना अंचल जहाँ मैं पैदा हुआ मसअला-कोई भी मुद्दा जो कार्रवाई या समाधान चाहता है,समस्या ब गोश-ए-ख़ामोशी-मौन के कान से मुनकशिफ़-प्रकट,व्यक्त,ज़ाहिर,खुलने वाला,खुला हुआ बेज़ुबानी-चुप रहना,कोई शिकायतआदि न करना माही-मछली,मत्स्य,मीन मुंतख़ब-चुनाव जीतने वाला,चुना हुआ,चयनित,निर्वाचित चहल पहल,गर्म बाजारी,रौनक,धूमधाम गहमा-गहमी-भीड़ भाड़,काँटे का टक्कर,मार-काट,जोश-ओ-ख़रोश