हिज्र में दिन भी बरस हो जैसे दिल की वादी में उमस हो जैसे/1 हाय ! करती ही नहीं मुझको रिहा तेरी हर याद क़फ़स हो जैसे/2 चूम कर होंठ तेरे ऐसा लगा तल्ख़ जीवन भी सरस हो जैसे/3 मुझ से दिल उलझे यूं तेरी ख़ातिर इस पे अब तेरा ही बस हो जैसे/4 उसकी फ़ुर्क़त में तड़पती हूं यूं मैं बदन औ'र वो नफ़स हो जैसे/5 मंज़िलों पर भी कहां है तस्कीन यहां हर शय ही अबस हो जैसे/6 "Maahir"जल रही है हसरत यूं क़ल्ब में आतिश-ए-ख़स हो जैसे/7 'Maahir' उमस=humidity,घुटन भरी गरमी क़फ़स=पिंजरा अबस=व्यर्थ क़ल्ब=दिल आतिश-ए-ख़स=सूखी घास को