मुख़्तसर बात कर और इतना बता, साबित आख़िर तुझे यार!करना है क्या!/1 दोस्ती था,मुहब्बत था या था जुनूं, तर्क जो हो गया वो था क्या राब्ता!/2 दिल में जो दर्द है,बेश बेदर्द है, डर है मुझको न कर दे कहीं ये फ़ना!/3 पोंछ पाई नहीं उसके आंसू मैं तब, जब खड़ी कठघरे में थी मेरी वफ़ा!/4 जुड़ता दिल तो जुदा तुझसे कर देती मैं, तुझसे तो जुड़ चुकी है मेरी आत्मा!/5 तेरी मूरत को सजदे किए थे जहां, कैसे तोडूं बता अब मैं वो बुतकदा!/6 दिन वो अच्छे थे जब हम ज़रा दूर थे, क़ुर्बतें क्या बढ़ीं हो गया फ़ासला!/7 पास आना सबब दूरियों का सही, फिर भी कहता है दिल,पास आ,पास आ!/8 चांद के पहलू में कल सितारा था जो, गर्दिश-ए-वक्त में वो कहीं खो गया!/9 छू के हंसती थी दोनों की नज़रें जिसे, तेरे बिन अब रुलाता है वो चन्द्रमा!/10 थाम कर हाथ तेरा थी जिस पर चली, अब चिढ़ाता है मुझको वही रास्ता!/11 क्या कहूं?पूछता है चमन मुझसे जब, क्यूं हो तन्हा?कहां है तेरा बेलिया?/12 मैंने पतवार ख़ामोशी की थाम ली, दिल में जब शोर का इक तलातुम उठा!/13 दर्द-ए-दिल जाते जाते ही जाएगा अब, सीख ले सहना और मुस्कुरा!/14 'Maahir'(collection)