वापस न लौटने की ख़बर छोड़ गये हो, मैंने सुना है तुम ये शहर छोड़ गये हो। दीवाने लोग मेरी कलम चूम रहे हैं, तुम मेरी ग़ज़ल में वो असर छोड़ गये हो। सारा ज़माना तुमको मुझमें ढूंढ रहा है, तुम हो की मुझको जाने किधर छोड़ गये हो। दामन चुराने वाले मुझको ये तो बता दे, क्यों मेरे पीछे अपनी नज़र छोड़ गये हो। न मंजिल की है ख़बर, न रास्तों का है पता, ये मेरे लिये कैसा तन्हा सफर छोड़ गये हो। 'Maahir'(collected by)