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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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6:58 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
है मेरी आरज़ू की मेरे अंदाज़ निकले कलम की इल्तिज़ा पर मेरे अल्फ़ाज़ निकले//1 ज़रा सी कशमकश से संवरता है सुखन मेरा मेरे कुछ शेरों से अब मेरी आवाज़ निकले//2 मोहब्बत कर ली मैं ने इसी उम्मीद से की मोहब्बत से इबादत का इक आगाज़ निकले//3 मेरी इक शर्त ये थी मेरे इन होंसलों से मेरी इस जिंदगी से कोई परवाज़ निकले//4 वफादारी भी मैंने सभी से इसलिए की की अब मेरी वफ़ा से सभी के राज़ निकले//5 बनाया इस तरह से मोहब्बत का ये माहौल कोई तो इश्क़ में अब मेरा हमराज़ निकले//6 'Maahir'(collected by)
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