skip to main |
skip to sidebar
RSS Feeds
A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
![]() |
![]() |
8:13 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
मारे जाएँगे जो बोलेंगे वे तो मारे ही जाएँगे वे भी मारे जाएँगे जो चुप रहेंगे जो गाएँगे विरुदावलियाँ पढ़ेंगे क़सीदे चाटेंगे तलवे बचेंगे वे भी नहीं आग की दुकान खोले बसे हैं बीच बजार एक हों या हों हज़ार जलेगी उनकी भी होली विवेकहीन होती है आग कुछ मरेंगे जलकर कुछ मारकर जलाए जाएँगे जो जुलूस में शामिल हैं वे तो मरेंगे ही जो छिपे आरामगाहों में एक रोज़ वे भी मारे जाएँगे मारे जाने से ठीक पहले कुछ लोग होंगे ज़िंदा पर जो पहले से ही मरे हैं वे भी मारे जाएँगे 'Paavan Teerth'
![]() |
Post a Comment