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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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5:09 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
प्रस्तुत हैं चंद कतआत - मुसाफ़िर जहाँ रास्ता चाहते हैं, वहीं रास्ते हौसला चाहते हैं! मिले हक़ सभी को जो उनका है यारो, हम इसके सिवा और क्या चाहते हैं। अज़ल से,निहाँ हैं,नज़र में नज़ारे, जो करते हैं जुर्अत,वो पाते इशारे! ग़रीबी उसे अलविदा कह गयी फिर, जहालत के जिसने भी ज़ेवर उतारे। अजब दुनिया का कारोबार देखा, बिना ख़बरों के अब अख़बार देखा! ग़रीबी ख़ूब फलती फूलती अब, तरक़्क़ी में ये कारोबार देखा। मुझे इस बात का शिकवा बहुत है, हुआ मरना भी अब महँगा बहुत है! ज़रूरत जब पड़ी,वो व्यस्त थे कुछ, मुझे इस बात का सदमा बहुत है। कभी उलझा जो कोई मसअला है, मिला फिर गुफ़्तगू से रास्ता है! यही जम्हूरियत की ख़ास ख़ूबी, जगी जनता को ही बस हक़ मिला है। 'Maahir'(COLLECTED BY)
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