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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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9:07 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल- ग़जब है शायरी इसकी अलग ही राह होती है, किसी की आह पे इसमें, किसी की वाह होती है। सँवरना रोज पड़ता है बिगड़ हम खुद ही जाते हैं, मगर यारो, तरक्की की इसी से राह होती है। न रखना याद पड़ता सच, न होते झूठ के हैं पैर, मगर झूठे को सच्चे से कसकती डाह होती है। डरो मत मुश्किलों से तुम, करो हिम्मत, बढ़ो आगे,, जहाँ रस्ते नहीं दिखते, वहां भी राह होती है। कभी जो लड़खड़ाओ तो, करो कोशिश सँभलने की, निकलती कोशिशों से जो, हसीं वो राह होती है। मुझे भी करने दो वो सब जिन्हें तुम करते थे अब तक, तजारिब से जो मिलती है, सही वो राह होती है।, जहाँ के वास्ते “मैं” है, न "मैं" होता, न कुछ होता, सभी हैं फलसफे "मैं" से इसी से आह होती है। हराया "मैं" ने ही मुझको न "मैं" होता न ग़म होता, बिना इसके न कोई ज़िन्दगी में चाह होती है। Maahir
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