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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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9:01 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल- पतंगों को ख़लाओं में उड़ाना सीख लो साहिब, ए आई दौर में जीवन चलाना सीख लो साहिब, सभी जीवों से बेहतर मानते ख़ुद को, तो लाज़िम है, ज़रा इंसानियत से दिल लगाना सीख लो साहिब। कड़ी मेहनत से पाया है मुकाम ऊँचा, चलो माना, अना को भी तो कुछ अपनी, झुकाना सीख लो साहिब। बुरा गर वक़्त आया तो, यही कुछ काम आयेगा, ज़रा मिल-बाँट के जीवन चलाना सीख लो साहिब। यहाँ होता वही जिससे कि वो इंकार करते हैं, सही अनुमान लहजों से लगाना सीख लो साहिब। 'वही’ का आसमानों से तो अब आना नहीं मुमकिन, जहां अपने तजारिब से सजाना सीख लो साहिब। मुझे लगता है'माहिर'काम है यह भी इबादत-सा, किसी रोते हुए जन को हँसाना सीख लो साहिब। ए आई = आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, ख़ला= निर्वात, अना=अहंकार,वही = ईश्वरीय निर्देश, तजारिब= तजुर्बे
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