ग़ज़ल- एक नयी लिखी हुई ग़ज़ल के साथ आपके बीच उपस्थित हूँ,अर्ज़ किया है- दु'आ है मालिक-ए-कुल का भी कोई काम न हो बिना तुम्हारे कोई सुब्ह कोई शाम न हो//1 हमें पहुँचना है रब जिस फ़लक पे रहता है हमारी खोज रह-ए-ख़ल्क़ में तमाम न हो//2 जहाँ पे मर्तबा रखना है फ़िक्र का ऊँचा वहाँ पे पीने-पिलाने का इंतिज़ाम न हो//3 जिसे ख़रीदने की चाह में ही मर जाएँ किसी भी चीज़ का इतना भी ऊँचा दाम न हो //4 मैं अपने ज़ौक़ की मानूंगा मुफ़्लिसी जिस दिन तुम्हारे हुस्न पे मेरा कोई कलाम न हो//5 अदा करूँ मैं ग़ज़ल अपनी बज़्म में ऐसे कि जिसको पढ़ने में कोई भी ताम-झाम न हो//6 तुम्हारे इश्क़ में बनना नहीं है क़ैस हमें हमारे इश्क़ का अफ़साना नज़्र-ए-आम न हो//7 हम अस्प तो नहीं, करने दे जितना जी चाहे हमारे प्यार की मी'आद पे लगाम न हो//8 वहाँ पे'राज़'ठहरना है दो घड़ी भी ग़लत जहाँ पे बूढ़े बुज़ुर्गो का एहतिराम न हो//9 دُعا ہے مالک کل کا بھی کوئی کام نہ ہو بنا تمہارے کوئی صبح کوئی شام نہ ہو //1 ہمیں پہنچنا ہے رب جس فلک پے رہتا ہے ہماری کھوج رۂ خلق میں تمام نہ ہو //2 جہاں پے مرتبہ رکھنا ہے فکر کا اونچا وہاں پے پینے پلانے کا انتظام نہ ہو //3 جسے خریدنے کی چاہ میں ہی مر جایں کسی بھی چیز کا اتنا بھی اونچا دام نہ ہو //4 میں اپنے ذوق کی مانونگا مفلسی جس دن تمہارے حسن پے میرا کوئی کلام نہ ہو //5 ادا کروں میں غزل اپنی بزم میں ایسے کہ جسکو پڑھنے میں کوئی بھی تام جھام نہ ہو //6 تمہارے عشق میں بننا نہیں ہے قیس ہمیں ہمارے عشق کا افسانہ نذر عام نہ ہو //7 ہم اسپ تو نہیں، کرنے دے جتنا جی چاہے ہمارے پیار کی می'آد پے لگام نہ ہو //8 وہاں پے 'راز' ٹھہرنا ہے دو گھڑی بھی غلط جہاں پے بوڑھے بزرگو کا احترام نہ ہو //9 मालिक-ए-कुल- तमाम चीज़ों का मालिक, जिसे हर चीज़ पर अधिकार हो; ईश्वर रब जिस फ़लक पे रहता है- भगवान जिस आसमान में रहता है रह-ए-ख़ल्क़- संसार की राह तमाम- समाप्त; ख़त्म मर्तबा- पद, दर्जा, वर्ग, तबक़ा, श्रेणी, जमाअत, वार, दफ़ा, प्रतिष्ठा, इज्ज़त ज़ौक़- कविता के वास्तविक सार एवं भाव की क्षमता, काव्य रुचि, काव्य रसज्ञता, काव्य बोध मुफ़्लिसी- निर्धनता, ग़रीबी कलाम- नज़्म, छंद के रूप में परिवर्तित किया हुआ काव्य, शे'र, शायरी, कथन, वक्तव्य बज़्म- महफ़िल, गोष्ठी ताम-झाम- दिखावा, आडंबर, धूमधाम, दिखावटी प्रदर्शन क़ैस- मजनूँ का असली नाम अफ़साना- क़िस्सा, कहानी, कथा, उपन्यास, लंबा वृत्तांत, दास्ताँ नज़्र-ए-आम- ओम लोगों के हवाले अस्प- घोड़ा, अश्व, शतरंज का मोहरा जो ढाई घर चलता है मी'आद- अवधि, कार्यकाल, समय सीमा, क़ैद की सज़ा की अवधि, कालावधि लगाम- अंकुश, नियंत्रण, दबाव, दबिश, रोक एहतिराम- आदर, इज़्ज़त, सम्मान, सादर-सत्कार 'Maahir'(collected by)