टूटते दिल का वो मंज़र और मैं टूट कर रोया मुकद्दर और मैं //१ दोनों ही थे क्षत-विक्षत बिखरे हुए मेरी आँखों का समंदर और मैं //२ करवटें लेते रहे थे रात भर तेरी यादों में ये बिस्तर और मैं //३ काटती तनहाइयाँ हैं जब कभी बातें करते हैं मेरा घर और मैं //४ माँगते अपनी मुरादें, हर दफ़ा टूटते तारों से सागर और मैं //५ सूर्य की तीखी किरण का क्या कहूँ बेसबब जलता है अम्बर और मैं //६ आ रही बेख़ौफ़ नद मिलने पी' से देखते उसको समंदर और मैं //७ 'Maahir'