मधुमय वसंत फिर आया है, जिसने मन को हर्षाया है! कुछ सृजित करूँअपने मन का, इसका उत्साह जगाया है। दिनकर ने ज्यों ही दृग खोले, अँगडाई लेते तरु डोले! निखरा सोना आशाओं का, कुछ कुछ होता,तन-मन बोले। खुश होने का दिन आया है, मधुमय वसंत फिर आया है। कलियाँ चटकीं भँवरे डोले, फूलों ने अपने दल खोले! वो आसमान फिर नीला है, हर जीव जंतु हँस के बोले! कण-कण में प्रेम समाया है, मधुमय वसंत फिर आया है। वृद्धों के मन भी डोल रहे, वो मन की गांठें खोल रहे! जो युवा हैं वो चहके-बहके, बच्चे तक खुल के बोल रहे! उत्साह ह्रदय में छाया है, मधुमय वसंत फिर आया है। था रोष बहुत वो मंद हुआ जो बंद लगा था,बंद हुआ! हर्षित मन से जब सोचे तो, कविता का सुन्दर छंद हुआ! नवजीवन जग में लाया है, मधु मय वसंत फिर आया है। Paavan Teerth वसंत के सुहाने मौसम में आपको बधाई।