प्रस्तुत है एक ग़ज़ल- रंग कितने ही दिखाए ज़िन्दगी में ज़िन्दगी ने, आइना मुझको दिखाया दोस्त मेरी शायरी ने। शेर कुछ भावुक लिखाए,आमजन की बेबसी ने, वास्तों को कर दिया,जग में उजागर,मुफ़लिसी ने। आज बच्चे कोसते हैं,आदमी की लालसा को, कर रखी बर्बाद दुनिया,आज की ख़ातिर सभी ने। घाव देकर घाव पर,धनपशु धरा को दुह रहे हैं, कुछ कहाँ छोड़ा बताओ,पीढ़ियों हित इस सदी ने। कर दिया मुझको मुकम्मल यार की मोहक हँसी ने, इस हँसी को दे दिया,है रूप मेरी शायरी ने। Maahir(collected by)