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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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7:18 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल- ज़िन्दगी रब की इनायत है तो है, उस से कुछ हमको शिकायत है तो है। वो हैं सूरज और मैं जुगनू फ़क़त, पर अँधेरों से अदावत है तो है। ख़त्म हो जानी है जैसे भी जियो, ज़िन्दगी की ये हक़ीक़त है तो है। देखने में खोट बस नज़रों का है, कुछ न कुछ हर इक में सीरत है तो है। हो रहा मुझसे हुजूम-ए- ग़म ख़फ़ा, मुस्कुराने की जो आदत है तो है। बात हक़ की दोस्तो, कहता हूँ मैं, वो इसे कहते बग़ावत है, तो है। हम ख़यानत कर रहे हैं होश में, सादगी रब की अमानत है तो है। जुर्म कुछ तो इस वजह से भी हुए, माफ़ करना उसकी फ़ितरत है तो है। उससे ही औक़ात है हर जिन्स की, अब यही उसकी निज़ामत है तो है।
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