Ghazal ग़ज़ल- फ़ैसले जो ज़रूरी थे,टाले गए, मसअले कुछ बना के,उछाले गए। जो कमाते रहे फ़र्ज को भूलकर वो वबा में भी कितना कमा ले गए। लालचों से कभी फ़ैसले जब हुए, मानवोचित सभी तब हवाले गए। कार्पोरेट वर्ल्ड को छूट जब भी मिली मुफ़लिसों के मुखों से निवाले गए। आमजन के भले की जिन्हें फ़िक्र थी, आफ़िसों से सभी वो निकाले गए। जिसने उनकी कमी कुछ बताई कभी, उसके पुरखों के ख़सरे खँगाले गए। आततायी चतुर उनसे जो जा मिले, जान अपनी पुलिस से बचा ले गए। -------------------------------------- मसअले=प्रकरण, वबा=महामारी