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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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8:14 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
Ghazal एक ग़ज़ल- सामने इंसानियत के है अजब संकट मियाँ, ख़त्म सा था वाम पथ,अब मध्य है चौपट मियाँ। सोच लो मिलता कहाँ है कोशिशों का तब सिला, लक्ष्य को जाने बिना जब दौड़ते सरपट मियाँ। जागती कौमों से बनता देश सुखमय दोस्तो, लोग गर सोते रहे,तो जागते संकट मियां। आज नेता के लिए जज़्बात की कीमत नहीं, सोचने वाले से उसकी चल रही खटपट मियाँ। देश के विद्यालयों का मान गिरता जा रहा, पास वो बच्चा हुआ जिसने लिया कुछ रट मियाँ। राजनैतिक दल कभी जब दूर जनता से हुए, रूठ जाती है फिर उनसे राज की चौखट मियाँ। जिसको भी मौक़ा मिला,वो फ़र्ज़ अपने भूलकर बस कमाने में जुटा है,आजकल झटपट मियाँ। मर गए थे आदमी दंगों में बीते साल कुछ, केस वो वापस हुए सब,देख लो यूँ झट मियाँ। जो रुका वर्षों से था नियमों के कारण सोच लो, चल पड़ा कागज़ वो रिश्वत देखते ही खट मियाँ। वो कहें जो,उसको समझें,शाश्वत सच अब से बस, छोड़िए भूगोल और इतिहास के झंझट मियाँ। सिला=परिणाम
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