skip to main |
skip to sidebar
RSS Feeds
A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
![]() |
![]() |
6:53 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
जिंदगी किस तरह बसर होगी दिल नहीं लग रहा मुहब्बत में// जिंदगी किस,तरह बसर/होगी दिल नहीं लग/ रहा मुहब्बत में // जौन एलिया पूरी ग़ज़ल सर ही अब फोड़िए नदामत में नींद आने लगी है फ़ुर्क़त में//1 हैं दलीलें तिरे ख़िलाफ़ मगर सोचता हूँ तिरी हिमायत में//2 रूह ने इश्क़ का फ़रेब दिया जिस्म को जिस्म की अदावत में//3 अब फ़क़त आदतों की वर्ज़िश है रूह शामिल नहीं शिकायत में//4 इश्क़ को दरमियाँ न लाओ कि मैं चीख़ता हूँ बदन की उसरत में//5 ये कुछ आसान तो नहीं है कि हम रूठते अब भी हैं मुरव्वत में//6 वो जो ता'मीर होने वाली थी लग गई आग उस इमारत में//7 ज़िंदगी किस तरह बसर होगी दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में//8 हासिल-ए-कुन है ये जहान-ए-ख़राब यही मुमकिन था इतनी उजलत में//9 फिर बनाया ख़ुदा ने आदम को अपनी सूरत पे ऐसी सूरत में//10 और फिर आदमी ने ग़ौर किया छिपकिली की लतीफ़ सनअ'त में//11 ऐ ख़ुदा जो कहीं नहीं मौजूद क्या लिखा है हमारी क़िस्मत में//12 जौन एलिया
![]() |
Post a Comment