श्रीमद्भगवद्गीता : कर्मक्षेत्रे-रणक्षेत्रे :अध्याय ४ : ज्ञानकर्मसंन्यास योग : क्रमश : श्लोक ३९ : पहले जानिए फिर मानिए: श्रद्धावान् लभते ज्ञानम् तत्पर : संयत्न्द्रिय : । ज्ञानम् लब्ध्वा पराम् शान्तिम् अचिरेण अधिगच्छति ॥३९॥ इन्द्रियाँ संयत हेों जिसकी योग तत्पर जो सदा श्रद्धावान साधक वह ऐसा ।— प्राप्त होता ज्ञान को ज्ञान को कर प्राप्त निज में परमशांति पा लेता तुरत ॥३९॥ पराम् शान्ति की प्राप्ति का मार्ग: श्लोक में तत्व ज्ञान की प्राप्ति और पराम् शांति प्राप्त (लब्ध्वा) के लिए तीन बातों की आवश्यकता बताई है । १.शरीर के स्तर पर : इन्द्रिय संयम मे तत्परता । २.मन के स्तर पर : परमात्मा को पूर्ण समर्पण । ३.विवेक के स्तर पर :श्रद्धा । इसी को इसी अध्याय के चौंतीसवें श्लोक के गुरु के पास ज्ञान प्राप्त करने के संदर्भ में देखिए जहाँ कहा है कि “उपदेश्यन्ति ते ज्ञानम्” अर्थात गुरु उपदेश करेगा लेकिन यह निश्चय नहीं कि ज्ञान प्राप्त हो ही जाएगा । लेकिन यहाँ “लब्ध्वा” कह कर पूर्ण निश्चय है कि ज्ञान प्राप्त होकर परम शान्ति को पाएगा ।