ग़ज़ल- ज़हर वो घोला किए, घोला किए, लोग बस देखा किए, देखा किए। काम कुछ जन कर रहे हैं रात-दिन, शेष बस सोचा किए, सोचा किए। जिस तरफ वो छोड़ के हमको गए, हम उधर देखा किए, देखा किए। लोग उकता के तो जाने भी लगे, गीत वो गाया किए, गाया किए। अर्थ सारे गुम हुए अल्फ़ाज़ के, और वो, बोला किए, बोला किए। देश कुछ दिन-रात उन्नति कर रहे, वक़्त हम जाया किए, जाया किए।