ग़ज़ल ...


कौन  प्यासा  है ये तिश्नगी किसकी है
मेरे भीतर  ये जलती  नदी किसकी है

शहर  में  ये  उजाला   कहां   से  हुआ
यां  उगा  कौन  है  रोशनी  किसकी  है

कुछ  अलग  तर्ह  की  तिरगी  है  इधर
ये मकां किसका है ये गली किसकी है

रास्ता   मेरा   आसान   हो   जाता   है
राहबर  कौन   है  रहबरी  किसकी  है 

मैंने  तो  पोंछ  डाले  थे  आंसू "अदब"
मेरी  आंखों  में पर ये नमी किसकी है 
              
Maahir.