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GHAZAL-06

ग़ज़ल ...


कौन  प्यासा  है ये तिश्नगी किसकी है
मेरे भीतर  ये जलती  नदी किसकी है

शहर  में  ये  उजाला   कहां   से  हुआ
यां  उगा  कौन  है  रोशनी  किसकी  है

कुछ  अलग  तर्ह  की  तिरगी  है  इधर
ये मकां किसका है ये गली किसकी है

रास्ता   मेरा   आसान   हो   जाता   है
राहबर  कौन   है  रहबरी  किसकी  है 

मैंने  तो  पोंछ  डाले  थे  आंसू "अदब"
मेरी  आंखों  में पर ये नमी किसकी है 
              
Maahir.

GEETA-06

 श्रीमद्भगवद्गीता  :

कर्मक्षेत्रे - रणक्षेत्रे : अध्याय ३ :
क र्म यो ग  :
क्रमश :  श्लोक ३५ :

स्वधर्म में अवस्थित रहने का आदेश  :

श्रेयान् स्वधर्म :  विगुण :
परधर्मात् स्वनुष्ठितात् ।
स्वधर्मे निधनम् श्रेय :
परधर्म :  भयावह : ॥३५॥

दूसरे के धर्म के आचरण से
गुणहीन भी अपना धर्म श्रेयस् है सदा ।
निज धर्म को करते हुए मरण भी स्वीकार्य है 
दूसरे का धर्म उपजाता सदा भय- मात्र है ॥३५॥

ध्यान दें : यह अर्जुन के ‘ भैक्ष्यम् अपीह लोके ‘ और 
‘यत् श्रेय : स्यात् निश्चितम् ब्रूहि तत् मे ‘ का मानो निश्चयात्मक उत्तर है ।
सभी को अपने स्वभावानुकूल कर्म के विपरीत करने के लिये 
चेतावनी है ।
PAAVAN

GEETA-05

 श्रीमद्भगवद्गीता  :

कर्मक्षेत्रे - रणक्षेत्रे : अध्याय ४ :
ज्ञानकर्मसंन्यास योग :
क्रमश :  श्लोक ११ :

श्रीभगवान  सभी जीवों पर कृपा करते हैं:

ये यथा माम् प्रपद्यन्ते तान् 
तथा एव भजामि अहम्  ।
मम् वर्त्म अनुवर्तन्ते
मनुष्या :  पार्थ सर्वश : ॥११॥

जो जैसा भजता है मुझको
वैसा ही भजता मैं उसको ।
करते सब अनुसरण मेरा ही 
हे पार्थ ! जान ले तू यह भली विधि
॥११॥

विवेचन:

इससे पिछले श्लोक में वर्णन आया है कि कैसे  ज्ञान- तप से
पवित्र मनुष्य मेरे को ही प्राप्त हो जाते हैं । इसलिए श्री भगवान आश्वस्त करते हैं कि नहीं नहीं मैं सभी को जो मुझे जिस प्रकार भजता है उसको मैं उसी भाव से मिल जाता हूँ ।
PAAVAN

GHAZAL-05


हरेक फूल जैसे गुलाब नहीं होता,                                                                                                                                                                  हर शख़्स भी अहबाब नहीं होता।

शेर तो कई-कई होते हैं ग़ज़ल में,
हर शेर,किंतु लाजवाब नहीं होता!

कुछ बातें चाहती हैं तफसील-बयां,
काफ़ी गर लब्बोलुआब नहीं होता!

अलग होती है सब की ही फ़ितरत,
एक-सा तो ढोल-रबाब नही होता!

वक्त की पकड़ बहुत रखता है वह,
तपा हर वक्त आफताब नहीं होता!

ज़िन्दगी बदलती है कई-कई रूप,
हर उम्र में देखो शबाब नहीं होता!

अंधेरे अगर ऐसे सियाह नहीं होते,
ऐसा ख़ूबसूरत महताब नहीं होता!

लिख लेता उस चेहरे पे भी ग़ज़ल,
उस पर जो वह नक़ाब नहीं होता!

किस्मत तो जाती है मर्जी से कहीं,
वर्ना हर-इन्सान नवाब नहीं होता?
             
 'MAAHIR'

GHAZAL-04

  एक ग़ज़ल - 


अभी तक जी रहे मुझमें कई संसार माज़ी के,
रुला देते हैं कुछ तो आज तक किरदार माज़ी केl

माज़ी = भूतकाल, विगत के, किरदार=चरित्र

पहुँच जाते हैं अक्सर हम उन्हीं गुजरे ज़मानों में  
जुड़े हैं रूह से अब तक कई वो तार माज़ी केl

महज माज़ी नहीं है ज़िन्दगी में, आज कल भी हैं,
निकलना तो तुम्हें होगा कभी तो पार माज़ी केl

यही फ़ितरत है उनकी, वो तुम्हारी राह रोकेंगे,
वहीं भूलो उन्हें क़स्दन, मिलें जब ख़ार माज़ी केl

फ़ितरत=प्रकृति, ख़ार=कांटे

बहुत ही मुख़्तसर है ज़िन्दगी मिलती न ये फिर से,
भुला के हम चले आए सभी आज़ार माज़ी केl

मैं जैसा भी हूँ इसमें भूमिका कुछ आपकी भी है,
उतर सकते कहाँ सब आपके उपकार माज़ी केl 

बहुत जाना, बहुत सीखा, उन्हीं से यश मिला मुझको,
बहुत मशकूर हूँ उनका, जो मेरे यार माज़ी केl

मशकूर=शुक्रगुजार 

बदलती है, हर इक शय वक़्त के सँग, लोग कहते हैं,
कहाँ बदले हैं आज तक किरदार माज़ी के।
MAAHIR

GEETA-04

 श्रीमद्भगवद्गीता  :

कर्मक्षेत्रे - रणक्षेत्रे : अध्याय ४ :
 ज्ञानकर्मसंन्यास योग  :
क्रमश :  श्लोक १५  :

कर्मयोग के माध्यम से मोक्ष :

एवम् ज्ञात्वा कृतम् कर्म
पूर्वै : अपि  मुमुक्षुभि : ।
कुरु कर्म एव तस्मात् त्वम्
पूर्वै : पूर्वतरम्। कृतम्  ॥१५॥

इस प्रकार ही जानकर पूर्व में भी 
कर्मों को किया मुमुक्षुओं ने भी ।
तू भी पूर्वजों का अनुकरण  कर
निष्काम होकर  कर्म  कर ॥१५॥

निष्कर्ष  :

पूर्व श्लोक चौदह मे कहे अनुसार 
कर्मों में आसक्ति और फलाशा की सभी कामनाओं को त्याग कर कर्म करते रहना ही कर्मयोग है ।
PAAVAN

RISE IN CREATININ AFTER CORONA INFECTION-NATUROPATHIC SOLUTION

 कोराना संक्रमण से क्रिएटिनिन स्तर बढ़ जाने पर सही करना सिर्फ सात दिन का इलाज। अनुभूत प्रयोग।


*क्रियेटिन(Creatinine)एक मेटाबोलिक पदार्थ है जो भोजन को ऊर्जा में बदलने के लिये सहायता देते समय टूट कर क्रियेटिनन में बदल जाता है वैसे तो आपकी किडनी क्रियेटिनन(Creatinine)को छानकर रक्त से बाहर निकाल देती है उसके बाद यह वेस्ट पदार्थ मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है परन्तु कुछ स्वास्थ्य सम्बंधित समस्यायें किडनी के इस कार्य में बाधा पहुंचाती हैं जिसके कारण क्रिएटिनिन बाहर नहीं निकल पाता है और रक्त(blood) में इसका स्तर बड़ने लगता है-

ऐसे बहुत से तरीके हैं जिनसे आप बढे हुए क्रिएटिनिन(Creatinine) लेवल को घटा सकते हैं इसके लिए आपको आहार में परिवर्तन और जीवन शैली में थोडा बहुत बदलाव तथा दवा आदि लेना पड़ेगा-

सबसे पहले आप Creatinine clearance test(एक प्रकार की जांच) करवाए जिससे ये पता चलता है कि आपके मूत्र में कितनी मात्रा में क्रिएटिनिन है क्रिएटिनिन की मात्रा आपके रक्त में कम और मूत्र में अधिक होना चाहिये-

नॉर्मल ब्लड क्रिएटिनिन-

पुरुष-       0.6 to 1.2 mg/dL; 53 to 106 mcmol/L

महिला-    0.5 to 1.1 mg/dL; 44 to 97 mcmol/L

टीनेजर्स-  0.5 to 1.0 mg/dL

बच्चे-       0.3 to 0.7 mg/dL

नॉर्मल मूत्र क्रिएटिनिन लेवल्स-

पुरुष-     107 to 139 mL/min; 1.8 to 2.3 mL/sec

महिला-  87 to 107 mL/min; 1.5 to 1.8 mL/sec

रीनल फेल्योर या इम्पेयरमेण्ट(Renal failure or Imparment)क्या है-

यदि आपकी किडनी डैमेज हो चुकी हैं तो वे Glomerular filtration के द्वारा क्रिएटिनिन को छानकर आपके शरीर से बाहर उस तरह से नहीं निकाल सकते हैं जैसे सामान्यतया वे करते है किडनी से छनित द्रव के बाहर निकलने की क्रिया को Glomryular
 Filtration कहते हैं-

कारण-

1- वर्तमान में कोराना हो जाने कि स्थिति या अन्य संक्रमण के कारण शरीर में अधिक मात्रा में लिया जा रहा सोडियम शरीर में fluid को तथा स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने वाले स्तर तक एकत्रित करने लगता है जिससे High BP होने लगता है इन दोनों कारणों से भी क्रिएटिनिन लेवल बढ़ सकता है-

2- उन सभी भोज्य प्रदार्थ के सेवन से बचे जिनमे प्रोटीन ज्यादा मात्रा में उपलब्ध होता है -

3- अधिकतर जानवरों से बने प्रोडक्ट के माध्यम से भी प्राप्त होने वाला क्रिएटिनिन(creatinine)इतनी हानिकारक नहीं होती लेकिन जो पहले से ही इस समस्या से ग्रस्त है उनको इसे लेने से बचना चाहिए Red meat और Processed food से खुद को बचाए -आपके आहार में पके हुए मीट की अधिकता होने से भी आपके शरीर में Creatinine की मात्रा बढ़ सकती है-

4- थायराइड में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी आपके किडनी के कार्य को प्रभावित कर सकता है हाइपोथायराइडिज्म(Hypothyroidism)आपके किडनी की-वेस्ट पदार्थों को सुचारु रूप से- फिल्टर करने की क्षमता को घटा सकता है-

5- जब आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं होता है तब मूत्र का उत्पादन भी कम हो जाता है चूंकि क्रिएटिनिन मूत्र के साथ ही शरीर से बाहर निकलता है इसलिये मूत्र की कमी होने पर क्रिएटिनिन का भी बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है-

6- क्रिएटिनिन(creatinine)बढ़ना किडनी रोगों का संकेत है अधिक बढ़ जाने पर किडनी की नियमित डायलिसिस करवानी पड़ती है अगर फिर भी आराम ना आये तो किडनी ट्रांसप्लांट करवाने तक की नौबत आ जाती है-

क्या करे उपाय-माइक्रो एक्यूप्रेशर के साथ साथ हर्बल उपाय करें।

क्रिएटिनिन बढ़ने में नीम बबूल और पीपल का ये प्रयोग बहुत कारगर है एक हफ्ते में बढ़ा हुआ क्रिएटिनिन सही हो सकता है-

सामग्री-

नीम के पेड़ की छाल

पीपल के पेड़ की छाल

बबूल देशी पेड़ की छाल

तीन गिलास पानी में 10 ग्राम नीम की छाल बबूल की छाल 10gm और 10 ग्राम पीपल की छाल को लेकर गर्म करे आधा रहने तक उबाल कर काढ़ा बना लें अब आप इस काढ़े को दिन में 3-4 भाग में बाँट कर सेवन करते रहें- ।
*मरीज की जुबानी,*

मेरा परम मित्र संतोष शर्मा उनकी पत्नी इंदिरा शर्मा उम्र ५०  वर्ष को अचानक कमर व पेट का दर्द हुआ और पेशाब बंद हो गया ,उल्टियां होती रही ,घर वाले समझे की लू लगी है यह घटना 1 मई 2021 की है,उस मरीज को जयपुर के राजस्थान हॉस्पिटल लक्ष्मी मंदिर सिनेमा के पीछे टोंक रोड  में दिखाया तो पता चला कि creatinine बढ़ गया है ,4.6 लेबल आ गया है।उसी समय उन्होंने निर्णय लिया कि  के के हॉस्पिटल  यूरोलॉजी हॉस्पिटल,बापू नगर जयपुर भर्ती करा दिया जाय लेकिन वहां भी लंबा बिल और 2 -3 बार डायलेसिस किया अब  creatinine बढ़ कर 6 हो गया.अचानक ऑक्सीजन लेबल काम हो गया ,4 दिन बाद फिर मरीज को दाना शिव हॉस्पिटल विद्याधर नगर जयपुर भर्ती कराया,सारे प्रयास 15 दिन तक किए लेकिन 5 -6 डायलेसीस के बाद भी यह लेबल बढ़ता रहा और 9 तक पहुंच गया,मरीज को यूरीन आना शुरू हो गया था,मेरे मित्र को मैंने सलाह दी कि आयुर्वेद में इसका समाधान है आप दिन में दो बार नीम, पीपल और बबूल की छाल का काढ़ा पिलाओ  2 सप्ताह उसने पत्नी को पिलाया ,आज रिपोर्ट कराई है १.६ लेबल आ गया।सभी नेफ्रोलॉजिस्ट हतप्रभ है की आयुर्वेद में अमृत औषधियां मौजूद है, मैं भी अपने आप में फूला नहीं समा रहा हूं,आज 22  जून 2021 मैंने मेरे स्टाफ में बताया कि संतोष की वाइफ की आज रिपोर्ट सही आ गई है 1.6 क्रेटीनिन लेबल आ गया है और फोन पर मरीज से बात भी कराई,।
मरीज से पूरी जानकारी आप भी ले सकते है।
संतोष कुमार शर्मा,मैनेजर,श्याम बाबा पेट्रोल पम्प ,गढ़मोरा,करौली।
9829127984

इस प्रयोग से मात्र सात दिन से 15 दिन में क्रिएटिनिन का स्तर व्यवस्थित हो जाता है या फिर पर्याप्त लेवल तक आ जाता है,साथ ही नाभि पर माइक्रो एक्यूप्रेशर चिकित्सा करते रहे,।


Paavan Teerth 

Geeta-03

 श्रीमद्भगवद्गीता :

कर्मक्षेत्रे - रणक्षेत्रे : अध्याय ३ :
क र्म  यो  ग  :
क्रमश :  श्लोक ४१  :

तस्मात् त्वम् इन्द्रियाणि
आदौ नियम्य भरतर्षभ ।
पाप्मानम् प्रजहि हि एनम्
ज्ञानविज्ञाननाशनम्  ॥४१॥

इसलिए सुनो हे भरतश्रेष्ठ !
सर्वप्रथम तू कर नियमन 
इन्द्रियों  का ।
इस ज्ञान और विज्ञान- नाशक
महापापी काम को बलपूर्वक तू 
मार दे ॥४१॥

काम को नष्ट करने की सीढ़ी का पहला चरण:

पिछले श्लोक (श्लोक सं०४०) में कहा कि इन्द्रियाँ , मन और बुद्धि इसके स्थान हैं । इसलिए सबसे पहले स्थान इन्द्रियों का नियमन कर उसे मन और बुद्धि की ओर बढ़ने और अपना डेरा जमाने का अवसर ही न दिया जाए ।
PAAVAN

ghazal-03

 एक ग़ज़ल- 


भुला के हक़ीक़त जो सोता रहेगा,
वो अश्क़ों से दामन भिगोता रहेगा।

लुटा तू, मरा तू, मगर कह रहे वो,
तमाशा हुआ है, ये होता रहेगा।

उसे फ़स्ल वो काटनी ही पड़ेगी,
जिसे ज़िन्दगानी में बोता रहेगा।

ग़रीबों को ज़ालिम सताते रहे हैं, 
न जागे वो, तब तो यह, होता रहेगा। 

किनारे-किनारे ही तैरा जो, उसको,
डुबोता है दरिया, डुबोता रहेगा।
 
तरक्की वही कर सका है जो इंसां, 
इरादों में ख़्वाबों को बोता रहेगा। 

 अदीबो क़लम सच की ख़ातिर उठाओ,
नहीं तो ग़लत है जो, होता रहेगा।

अदीब= साहित्यकार

MAAHIR

GHAZAL-2

प्रस्तुत है एक ग़ज़ल-


भला इंसांनियत का चाहती हो, 
ज़ुबां पे आज बस वो शायरी हो। 

सुने जो भी, लगे उसको कि जैसे,
ग़ज़ल में बात उसकी ही कही हो।

ख़ुदा से बस मेरी ये इल्तिज़ा है,  
न मुश्किल में किसी की ज़िन्दगी हो। 

मेरी कोशिश यही है दोस्तो बस,
हर इक की ज़िन्दगी में रोशनी हो।

हुआ है इश्क़ जब से, बस ये चाहा,
तेरी ख़ुशियों से ही मुझको ख़ुशी हो। 

सियासत देख के कहता है दिल ये,
ग़ज़ल अब जो लिखूँ वो आग - सी हो।

सुनेगा ग़ौर से तुमको ज़माना, 
तुम्हारी बात में कुछ बात भी हो।

'MAAHIR'

GEETA- SHLOKAS EXPLAINED VIS A VIS RAMCHARIT MANAS-2

 श्रीमद्भगवद्गीता  :

कर्मक्षेत्रे - रणक्षेत्रे  अध्याय ४ :
ज्ञानकर्मसंन्यास  योग  :
क्रमश :  श्लोक ९  :

श्रीभगवान  के जन्म और कर्मों की दिव्यता को तत्त्व से जानने का फल :

जन्म कर्म च मे दिव्यम्
एवम् य:वेत्ति तत्वत :  ।
त्यक्त्वा देहम् पुन : जन्म न एति
माम् एति स: अर्जुन  ॥९॥

हे अर्जुन ! जानता जो मेरे दिव्य जन्म को 
और कर्मों के तत्व को  ।
देह त्यागने पर जन्मता फिर वह नहीं 
प्राप्त हो जाता मुझे ही अन्त में ॥९॥

श्रीभगवान के जन्म की दिव्यता का तत्व:

श्रीरामचरितमानस के मनु- शतरूपा के तप और उसके परिणाम  में इसका अत्यन्त सुन्दर वर्णन हुआ है:

तप के सफलीभूत होने पर जो शरीर “अस्थिमात्र होइ रहे सरीरा”,
हो गए थे वे शब्द-ब्रह्म से :

मागु मांगु वर भइ नभवानी ।
परम गंभीर कृपामृत सानी ॥
मृतक जिआवन गिरा सुहाई ।
श्रवण- रंध्र होइ उर जबआई ॥

तो भक्त ने विनम्र विनती की:

सगुन अगुन जेहि निगम प्रसंसा ।
देखहिं हम सो रूप भरि लोचन ॥

और क्या देखा :

नील सरोरुह नील मणि 
नील नीरधर स्याम ॥
और 
वामभाग सोभित अनुकूला ।
आदिसक्ति छवि निधि जगमूला ॥
और जब आज्ञा दी कि 
“मागहु वर”

तो भक्त ने क्या माँग लिया:

“चाहउँ तुम्हहिं समान  सुत”

और शतरूपा ने कहीं भी उन्हें पहचानने मे गलती नहीं की:

“तुम्ह ब्रह्मादि जनक जग स्वामी, 
ब्रह्म सकल उर अंतरजामी!!

ब्रह्म ने किंतु जोड़ा :

आदिसक्ति जेहि जग उपजाया ।
सोउ अवतरिहि मोरि यह माया ॥

और भगवान के जन्म की झाँकी:

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला 
कौसल्या हितकारी  ।
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा
सोभासिंधु  ख़रारी  ॥

सो मम हितलागी जन अनुरागी
भयउ प्रगट श्री कंता ॥

लेकिन जब भक्त ने चाहा :

माता पुनि बोली सो मति डोली
तजहु तात यह रूपा ।


PAAVAN
कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला 
यह सुख परम अनूपा ॥१९२/बालकांड ॥

GHAZAL-1

तन्हाई ने मेरी रूह को घेरा है,

ख़ामोश है रात उदासी का डेरा है। १ 

इसरार की ज़ुल्मतों को मैं क्या जानूँ,
रब ने लिखा ज़िंदगी में ग़म तेरा है। २ 

होती है सहर से शाम पर रातों की,
क़िस्मत का न होता फिर कभी फेरा है। ३ 

हर एक क़दम पे तू बगूलों को तोड़,
मंज़िल का सही ये रास्ता तेरा है। ४ 

ग़म को मेरे तुम कभी नहीं बहलाओ,
रहने दो बचा खुचा जो भी मेरा है। ५ 

"माशूक़" बड़े सुकून की हैं साँसें, 
रिश्तों में मुझे तुम्ही ने अब झेरा है। ६
 
इसरार=ज़िद करना, हठ, ज़िद
ज़ुल्मतों=darkness, region of darkness, dark place
बगूलों=धूल भरी आँधी, बवंडर
झेरा=झंझट, बखेड़ा, झेर 

'MAAHIR'

GEETA -SHLOKAS EXPAINED VIS A VIS RAM CHARIT MANAS-1

 श्रीमद्भगवद्गीता  :

कर्म़क्षेत्रे - रणक्षेत्रे  अध्याय  ४ :
ज्ञानकर्मसंन्यास  योग :
क्रमश :  श्लोक १०  :

आत्म से परमात्म की प्राप्ति की ओर :

वीतरागभयक्रोध :
मन्मया : माम्  उपाश्रिता  : ।
बहवा :  ज्ञानतपसा : पूता :
मद्भावम्  आगता  :  ॥१०॥

बीत गए राग,भय,क्रोध 
जिनके हों
लगा मन जिनका मुझमें हो ।
केवल मेरा ही आश्रय जिन्हें हो
ऐसे अनेक ज्ञानी और तप :पूत
भक्त प्राप्त कर चुके हैं मेरे 
स्वरूप को ॥१०॥

श्लोक के अर्थ के साथ इसे पढ़िए:

रामचरितमानस में ऋषि वाल्मीकि ने भगवान श्री राम को जिन चौदह
स्थानों में रहने का आदेश दिया उनमें सर्वोच्च स्थान जो बताया ,
वह है :

ज़ाहि न चाहिअ कबहुँ कछु 
तुम्ह सन सहज सनेहु ।
बसहु निरंतर तासु मन
सो राउर निज गेहु ॥१३१/अयोध्या कांड ॥

यही यहाँ “ वीतरागभयक्रोध: “
में कहा गया है । राग के निवृत्त हो जाने पर ममता ,कामना , भय , लोभ , क्रोध , आदि सभी मन की 
दुर्भावनाएँ समाप्त हो जाती हैं ।

PAAVAN

REWARDS RECIEVED BY THE AUTHOR OF THE BLOG

 



Rasleela Nathdwara Style | Twin Eternals - Matter & Energy

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