POEMS BY PAVAN KUMAR 'PAAVAN' (MAN KI SFURNA)


 ईश्वर से साक्षात्कार

अब अपना मन्त्रोच्चार , भजन गाना और माला फिराना बंद करो,
मंदिर के इस सूने अँधेरे कोने में दरवाज़ा बंद कर तुम किसे भजते हो ?
अपने मन की आँखें खोलो और देखो कि वो ईश्वर यहाँ पर नहीं है,
वो वहाँ है जहाँ किसान मेहनत से हल चला कर जमीं को जोत रहे हैं ।
वो वहाँ है जहाँ मजदूर लगन से पत्थरों को तोड़कर राह बना रहे हैं ।
वो चिलचिलाती धुप, कंपकंपाती ठण्ड और तेज़ बरसात में उनको संभालता है,
और खुद भी उन्ही के जैसे पसीना बहाता, कपकंपाता और भीग जाता है ।
उसका कार्मिक शरीर भी उन्ही की तरह धूल से अटा  और कीचड़ से पटा है ।
अरे, तुम यहाँ पर कहाँ उसे ढूंढते, पूजते और आँख मूँद कर भजते हो,
क्या हर्ज़ है इसमें कि तुम भी उनके जैसा बन जाओ उन्ही में जाकर रम जाओ ।

 ईश्वरीय कृपा  


मेरी वासनाएँ बहुत हैं और पुकार भी तरस रखती है ।
मगर आपकी असीम कृपा ने सदा मुझे बचाया है ॥
आपकी यह मेहरबानी मुझे ताजिंदगी मिली है और ।
आपने लगातार मुझे सरल मगर कीमती बनाया है ॥
आपसे मुझे बिन माँगे ही कई सौगातें मिली हैं ।
जैसे यह आत्मा और विवेक जो बद से मुझे बचाते हैं ॥
वैसे कई बार मुझे अनेक कमजोरियों ने घेरा है ।
मगर मैं हर बार उनसे उबरा हूँ और लक्ष्य पाये हैं ॥
मैं लगातार पूर्ण हुआ हूँ आपकी कृपा और ताकत से ।
आपने मुझे हर अला  बला से भी बचाया है ॥
मैं जानता हूँ मेरे मालिक कि आप साथ में हो मेरे ।
मगर मैं आज तक आपको नज़र से नहीं देख पाया हूँ ॥


सब्रो  करार  

अब अगर आपने कुछ नहीं बोला, तो मैं दिल में सूनापन ही बसा लूँगा ।
और मैं धैर्य धार कर के, रात तारों से भरी दुल्हन सा, बुत बन करके ॥
आपके इंतज़ार में अपने सर को, आपके सजदे में झुका लूँगा ।
रात बीतेगी और सुबह भी आएगी, आपकी कृपा रश्मि बन करके ॥
आकाश को चीरती हुई आ करके, सरे जगत में जरूर छायेगी ।
आपके शब्द गीतों के पंख ले कर के, पक्षियों के सुरों में फूटेंगे ॥
और वे गीत बन जाएंगे फूल मेरे मन उपवन और सेहन के ।
जो मेरे सब्र का फल है, वो मिलेगा ही मुझे करार के साथ ॥

PAVAN KUMAR SHARMA IRS CHIEF COMMISSIONER OF INCOME TAX, JAIPUR.RAJASTHAN(RETD.)