POEMS BY PAVAN KUMAR 'PAAVAN'(MAN KI SFURNA)

मेरा छोटा सा अंश, मेरी ख्वाहिश 

प्रभु मुझ में केवल मेरा छोटा सा अंतस रहने दो ।
जहाँ से मैं सिर्फ तुम्हारा हूँ ।
मेरी इच्छाओं का वो छोटा सा अंश रहने दो ।
जहाँ मेरे हर ओर सिर्फ तुम ही तुम हो ।
और हर चीज़ जो मेरी है वो तुम्हारी ही हो ।
और मैं हर लम्हा तुम्हें प्यार करता रहूँ ।
बस वो छोटा अंश मुझमें रहने दो ।
जहाँ मुझे तुझे किसी से भी छुपाना न पड़े ।
बस वो छोटा अक्स मेरा रहने दो ।
जहाँ मेरा सर्वस्व बस तेरी इच्छा हो ।
और तुम्हारा कार्य बस मैं करता ही रहूँ ।
और यही प्यारी सी मेरी ख्वाहिश है ।

मुझको शक्ति दो प्रभु  

मेरी यही प्रार्थना है तुमसे, हे मेरे प्रभु ।
मेरे हृदय की गहराई में तुम चोट करो ।
और धीरे से मुझे वो दृढ़ता दो जिसमें मैं ख़ुशी और दुःख सह भी सकूँ ।
और फिर भी उसी दृढ़ता से, प्यार के साथ तुम्हारी सेवा करूँ ।
ऐसी दृढ़ता कि गरीबों को कभी पराया न करूँ ।
और दौलत की सत्ता को समर्पण न करूँ ।
मुझे वो शक्ति भी दो प्रभु कि मैं रोज़ दर रोज़ की घटनाओं से ऊपर उठकर ।
मेरे सर्वस्व का समर्पण शिद्दत से तुझमें कर जाऊँ । 

अंतर्रात्मा के लिए 

कल का दिन किसने देखा है,
आज के दिन को खोयेँ कयुँ ?
जिन घडियोँ मेँ हँस सकते हैँ :
उन घडियोँ मेँ रोयेँ क्युँ ?
समय कीमती बहुत है यारोँ,
तेजी से निकलता जाता है ।
गुजर गया, सो गुजर गया ;
लौट के फिर नहीँ आता है ।
गुंज़ाइश जब फूलोँ की हो,
तो फिर कांटे बोये क्युँ ?
जहाँ जागने की ऋतु आये,
उसी वक्त हम सोये क्यँ