POEMS BY PAVAN KUMAR 'PAAVAN' (MAN KI SFURNA)

बिना गाया  गीत  

जो गीत मैं ले कर आया हूँ, वो गाया नहीं गया है,
मगर मैंने इसके बोल और सुरों को प्यार से सँवारा है ।
कभी बोल नहीं जम पाये तो कभी सुर नहीं सध पाया ,
लेकिन बहुत प्रयास कर मैंने बोल साध, सुरों को सजाया है ।
मैं इस गीत को लगन से गाना और बजाना चाहता हूँ,
और आप लोगो को बहुत प्रेम से सुनाना चाहता हूँ ।
ये मेरे दर्द का गीत है, इसमें मेरी आस का संगीत है,
मुझे यकीन है कि ये आपको बहुत पसंद आएगा ।
बस एक बार, सिर्फ एक बार मुझे दिल से इसे गाने दो,
फिर आप क्या हर कोई इसे गाएगा और गुनगुनाएगा ।

मौत मेरी महबूब 

मौत, मेरी महबूब, तुम्हीं इस ज़िन्दगी पूर्णता हो,
आओ तुम शीघ्र, आओ और मुझसे सरगोशी करो ।
नित्य, प्रतिदिन, मैं तुम्हारी राह तकता हूँ,
सिर्फ तुम्हारे वास्ते ही गमे-जहाँ को सहता हूँ ।
मैं, मेरा सर्वस्व , मेरी तमन्नाएँ और प्यार मेरा,
सभी प्रवाहित है सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे ही वास्ते ।
एक अंतिम नज़र तुम्हारी नीमकश आँखों की,
और ज़िन्दगी मेरी, तुम्हारी पनाहों में होगी ।
फूल मँगवा के रक्खे हैं ढेर सारे मैंने ,
और माला भी बना ली है, मेरी दुल्हिन के लिए ।
तुम आओ और निकाह कर लो मुझ से,
ताकि मैं सो सकूँ तेरी बाँहों में सुकूँ के साथ ।

 फूल की चाह 

इस फूल को तोड़ लो, देर मत करो, डरो मत ।
चाहे फिर तोड़ कर इस माटी में ही फेंक दो ॥
भले यह फूल माला बनकर गले में न सजे ।
लेकिन इसे छूकर तो इज्जत बक्श दो ॥
डर है कि देर होने से कहीं ये मुरझा न जाए ।
इसका रंग भले गहरा न सही खुशबू भी भीनी सही ॥
लेकिन इसे तोड़ लो, देर मत करो, डरो मत ।