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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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8:09 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल- ए आई दौर में जज़्बे बचाना सीख लो साहिब, ज़रा इंसानियत से दिल लगाना सीख लो साहिब। कड़ी मेहनत से पाया है ज़माने में मुकाम ऊँचा, अहम् को भी ज़रा अपने झुकाना सीख लो साहिब। दिलाई थी क़सम तुमने न रक्खें राब्ता तुम से, मेरे ख़्वाबों में भी तुम अब न आना सीख लो साहिब। बुरा गर वक़्त आया तो तज़ारिब काम आएंगे, ज़रा मिल-बाँट के जीवन चलाना सीख लो साहिब। वो करते वह भी हैं जिससे कि वो इंकार करते हैं, सही अनुमान लहजों से लगाना सीख लो साहिब। तजुर्बा है मेरा ये काम होता है इबादत सा, किसी रोते हुए जन को हँसाना सीख लो साहिब। 'वही’ का आसमानों से तो अब आना न है मुमकिन, जहां अपने तजारिब से सजाना सीख लो साहिब। ए आई = आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, जज़्बा=भाव, गर=यदि, मुकाम=स्थान, अना=अहंकार, वही=आदमी को सही रास्ता दिखाने वाली आसमानी किताब, तजारिब= तजुर्बे का बहुवचन, तजुर्बात, तजुर्बों
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