skip to main |
skip to sidebar
RSS Feeds
A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
![]() |
![]() |
8:08 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल हुआ जब शेर कोई अनकहा-सा, लगा लम्हा वो मैंंने जी लिया-सा। कमी मेरी बताता जब भी कोई, मुझे वो टोकना लगता दुआ-सा। मेरे आशिक़ की ये ज़िंदादिली है, मिला हर बार पहली मर्तबा-सा। हुआ वर्षों पुराना इश्क़ अपना, लगे है वाकिया हो हालिया-सा किया है इश्क़ इतनी सादगी से, कभी लगता मुझे वो बेवफ़ा-सा। न बोले देर तक आपस में वो पर, लगा हर लम्हा जैसे बोलता-सा। नहीं जो कह सका, वो वक़्त ए रुख़सत, दिखा लब पे कहीं सहमा हुआ-सा।
![]() |
Post a Comment