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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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8:00 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल- जिनसे बच के नींद में जाने लगे, वो सवाल अब ख़्वाब में आने लगे। अब नज़र कैसे चुराएं उन से हम, जो सवाल अब रोज़ धमकाने लगे। जब समझ आने लगे हैं फ़लसफ़े, जो सगे बनते थे बेगाने लगे। जा चुकीं कितनी ही जानें सोच लो, सच के रस्ते पे जो तुम जाने लगे। आज कल ग़म और कम खाना भला, राज़ सेहत के समझ आने लगे। जब वो जाने,काम आ सकता नहीं, दोस्त कुछ मुझसे भी कतराने लगे। बात आई जब उसूलों की कभी, टूटने कुछ ख़ास याराने लगे।
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